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16वीं लोकसभा के लिए हो रहा चुनाव वाकई में ऐतिहासिक है। इस चुनाव मेें पहली बार ऐसा दिख रहा है कि सत्ता पक्ष ही विपक्ष से लड़ रहा है। सोनिया गांधी, राहुल के साथ ही सभी पार्टियों के पास आज अपनी अच्छाई बताने के बजाय केवल नरेन्द्र मोदी की कमी गिनाना मुद्दा रह गया है। यूपीए अध्यक्ष सोनिया और राहुल की सभाओं में तो लोग ऊबते नजर आ रहे हैं। राहुल अक्सर कहते हैं कि हम देश के लोगों को शक्ति देना चाहते हैं। उनसे कौन कहे कि देश की जनता देख रही है कि जिस व्यक्ति प्रधानमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति की शक्ति छीन ली हो, वह देश के आम नागरिक को कैसे शक्ति दे सकता है। सच्चाई अगर देखी जाए तो आज सोनिया को देश सिर्फ इसलिए बर्दाश्त कर रहा है कि वह राजीव जी की पत् नी और इंदिरा गांधी की बहू हैं। राहुल और प्रियंका इसलिए महत्वपूर्ण है कि वह राजीव जी के बेटे और इंदिरा जी के नाती है। इसके सिवाय इन लोगों के निजी जीवन की ऐसी कोई खास उपलब्धि नहीं है, जिससे लोग इन्हें याद कर सकें। अगर इन लोगों का आचरण ऐसे ही रहा तो धीरे-धीरे इन लोगों का यह वजन भी उसी तरह से खत्म हो जाएगा, जैसे महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के परिवार के लोगों का।
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